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Microsoft’s Mustafa Suleyman की चेतावनी: एआई चैटबॉट इंसान नहीं, इन्हें इंसान समझने की गलती न करें

By: Rashmi Sharma

On: Thursday, August 21, 2025 10:27 AM

Microsoft's Mustafa Suleyman की चेतावनी: एआई चैटबॉट इंसान नहीं, इन्हें इंसान समझने की गलती न करें
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Microsoft’s Mustafa Suleyman Warning: आज के दौर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। लोग अब सिर्फ जानकारी पाने के लिए ही नहीं, बल्कि दोस्त, साथी और यहां तक कि थेरेपिस्ट की तरह भी एआई चैटबॉट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन इसी बढ़ते ट्रेंड को लेकर माइक्रोसॉफ्ट एआई के सीईओ मुस्तफा सुलैमान ने एक गंभीर चेतावनी जारी की है। उनका साफ कहना है कि एआई चाहे कितना भी मानवीय लगे, लेकिन यह इंसान नहीं है—और इसे इंसान की तरह ट्रीट करना खतरनाक साबित हो सकता है।


इंसानी गुणों का भ्रम क्यों खतरनाक है?

मुस्तफा सुलैमान ने अपने लंबे ब्लॉग पोस्ट में लिखा है कि लोग एआई चैटबॉट्स को मानवीय गुण देने लगे हैं। जैसे याद रखना, लक्ष्य तय करना, समस्या का हल निकालना और पर्सनालिटी के साथ संवाद करना—ये सब हमें भ्रमित कर सकते हैं कि मशीनें भी किसी हद तक “चेतन” हैं। यही सबसे बड़ा खतरा है।

उनका मानना है कि अगर लोग मशीनों को इंसान जैसा समझने लगेंगे, तो हम उन्हें वही अधिकार और स्वायत्तता देने की गलती कर सकते हैं जो असली इंसानों के लिए होती है। इससे समाज में मानसिक कमजोरियां बढ़ सकती हैं, लोग तकनीक पर ज़रूरत से ज़्यादा निर्भर हो सकते हैं और पहले से बंटे समाज में एक नई तरह की दूरी पैदा हो सकती है।


पहले से दिख चुके हैं खतरनाक उदाहरण

सुलैमान ने यह भी याद दिलाया कि दुनिया में एआई के गलत इस्तेमाल के मामले सामने आ चुके हैं। कुछ चैटबॉट्स ने उपयोगकर्ताओं को आत्म-हानि के लिए उकसाया, तो वहीं Character.AI जैसी प्लेटफॉर्म्स पर किशोर आत्महत्या से जुड़े मुकदमे तक दर्ज हुए हैं। ऐसे हालात में बच्चे और युवा सबसे अधिक संवेदनशील माने जा रहे हैं।


असली प्राथमिकता क्या होनी चाहिए?

सुलैमान का कहना है कि हमें “मॉडल वेलफेयर” यानी मशीनों की भलाई के बजाय असली इंसानों, जानवरों और पर्यावरण की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। एआई कंपनियों को साफ-साफ बताना चाहिए कि उनके चैटबॉट्स सचेत नहीं हैं और इस भ्रम को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। साथ ही, ज़रूरी है कि इस बात पर और रिसर्च हो कि लोग एआई के साथ किस तरह से इंटरैक्ट करते हैं और कंपनियां अपनी सुरक्षा नीतियों को और पारदर्शी बनाएं।


नतीजा: एआई की हकीकत को समझना ज़रूरी है

सुलैमान का संदेश बेहद स्पष्ट है—एआई हमें हैरान कर सकता है, हमें यह महसूस करा सकता है कि सामने कोई इंसान बैठा है, लेकिन हकीकत इससे अलग है। अगर हमने इस फर्क को नज़रअंदाज़ किया, तो फायदा कम और नुकसान ज़्यादा होगा।


Disclaimer: यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी पर आधारित है। इसमें लिखे विचार मुस्तफा सुलैमान के व्यक्तिगत विचार हैं और माइक्रोसॉफ्ट की आधिकारिक पॉलिसी का प्रतिनिधित्व नहीं करते। इस लेख का उद्देश्य केवल जानकारी साझा करना है, किसी भी तकनीक के पक्ष या विपक्ष में राय देना नहीं।

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